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शहर के सबसे पुराने मोहल्ले की तंग गलियों में एक नाम बड़ा मशहूर था—“करकून” 😍
लोग कहते थे, वो जो भी काम करता था, उसमें परफेक्शन की मिसाल थी। ✅ लेकिन कोई यह नहीं जानता था कि करकून असल में कौन है और उसकी असली कहानी क्या है।
रवि, एक 22 साल का पत्रकार, जिसने हाल ही में नौकरी शुरू की थी, इस रहस्यमयी करकून की कहानी को उजागर करना चाहता था। उसे लोगों से सुनने को मिला कि करकून सबका काम चुपचाप कर देता है, बिना अपना चेहरा दिखाए।
पहला दिन:
एक दिन रवि ने ठान लिया कि वो करकून को ढूंढकर ही मानेगा। उसने गली के कोने पर खड़े पानवाले से पूछा,
“भाईसाहब, ये करकून कौन है?”👀
पानवाला हंसते हुए बोला, “बाबू, करकून को पकड़ना आसान नहीं। वो हवा की तरह आता है और काम करके चला जाता है।” 😱
रवि चौंक गया, “हवा? मतलब भूत-प्रेत टाइप का है क्या?” 🤔
पानवाला खिलखिलाकर बोला, “भूत नहीं, बाबू। पर इंसान जैसा भी नहीं लगता। तुम्हीं पता लगाओ।”
दूसरा दिन:
रवि ने करकून को पकड़ने के लिए एक तरकीब सोची। उसने अपने स्कूटर को जानबूझकर मोहल्ले की बीच सड़क पर खड़ा कर दिया और खुद छुपकर देखने लगा। आधी रात तक इंतजार करने के बाद, अचानक एक परछाई उसके स्कूटर के पास आई।
परछाई ने स्कूटर के टूटे हिस्से को ठीक किया और गायब हो गई। 😂 (गजब हो गया ना) 🤣🙏
रवि जल्दी से बाहर आया और देखा—स्कूटर पहले से भी ज्यादा चमक रहा था! वह चौंक गया। 😂
“ये कौन हो सकता है?” उसने खुद से सवाल किया।
Next Day:
अगली रात, रवि ने वही चाल फिर से दोहराई। इस बार जब करकून आया, तो रवि ने पीछे से उसका कंधा पकड़ लिया। (रवि भी हमारा किसी से कम थोड़ी है।😆)
“रुको! आखिर तुम हो कौन?” 👀
करकून पलटा। उसकी शक्ल देखकर रवि दंग रह गया।
“अरे! ये तो मोहल्ले के चायवाले चाचा हैं!” 😲
सच का खुलासा:
करकून, यानी चायवाले चाचा, हंसते हुए बोले, “बेटा, चौंको मत। मैं करकून इसलिए बना, क्योंकि मुझे लोगों की मदद करना अच्छा लगता है। मोहल्ले का हर इंसान मुझे अपना मानता है, और मैं चाहता हूं कि कोई भी मेरी मदद को एहसान न समझे।”
रवि ने चायवाले चाचा से पूछा, “लेकिन चुपचाप काम क्यों करते हो?”
चाचा बोले, “आजकल लोग काम करने से ज्यादा तारीफ बटोरने में लगे रहते हैं। 🙂 मैं ये दिखाना चाहता हूं कि असली खुशी दूसरों की मदद करके मिलती है, न कि उसका ढिंढोरा पीटकर।”
रवि ने हंसते हुए कहा, “चाचा, आपने तो सुपरहीरो वाला फील दे दिया। क्या आपका नाम ‘चायमैन’ रख दें?”
चाचा मुस्कराए और बोले, “हां, और तुम्हारा नाम ‘स्कूटरमैन’!” दोनों ठहाका मारकर हंसने लगे। 😂
सीख:
दिखावा करना आसान है, लेकिन सच्ची खुशी और सम्मान वही पाते हैं जो बिना किसी स्वार्थ के दूसरों के लिए कुछ करते हैं। 🌟
Thanks for reading 🙏.
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